निरोग और सुखी जीवन की पतवार, मेरी तेरह यदि रहोगे, अल्पाहार और शाकाहार। निरोग और सुखी जीवन की पतवार, मेरी तेरह यदि रहोगे, अल्पाहार और शाकाहार।
जिसके पेट में पल रहा था उसका मासूम बच्चा ! जिसके पेट में पल रहा था उसका मासूम बच्चा !
वापसी पर वापसी पर
राष्ट्रभाषा हिन्दी पर कविता राष्ट्रभाषा हिन्दी पर कविता
मंदिर का परिसर, वो धरती, तन में एक अलग ऊर्जा लाती है, मंदिर का परिसर, वो धरती, तन में एक अलग ऊर्जा लाती है,
जीते हैं दुनिया में अपनी ना किसी को परेशान करते हैं, ये तो इन्सानों की हरकत है जो इनका नुकसान करत... जीते हैं दुनिया में अपनी ना किसी को परेशान करते हैं, ये तो इन्सानों की हरकत ह...